About The Books
भारत एक प्रमुख सब्जी उत्पादक देश है। यहाँ सब्जियों की खेती पर्वतीय क्षेत्रों से लेकर समुद्र के तटवर्ती भागों तक सफलतापूर्वक की जाती है। हमारे देश की जलवायु में काफी भिन्नता होने के कारण देश की बढ़ती हुई जनसंख्या को देखते हुए इसे और बढ़ाने की आवश्यकता है। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2020 तक देश की आबादी 135 करोड़ के लगभग होगी जिसके लिए 15 करोड़ टन सब्जी की आवश्यकता होगी। सब्जियों के अधिक उत्पादन से जहाँ हम एक ओर अपने भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु अधिक सब्जी का प्रयोग कर सकेंगे वहीं अतिरिक्त पैदावार को विदेशों में बेचकर पहले से कहीं अधिक विदेशी मुद्रा भी कमा सकेंगे। छोटे किसानों की आर्थिक सामर्थ इतनी नहीं होती कि वे बाजार में अनुकूल भाव मिलने तक अपनी उपज को अपने पास रख सकेंगे। देश में इस बात की आवश्यकता महसूस की जाती रही है कि कृषक समुदाय को भंडारण की वैज्ञानिक सुविधाएं प्रदान की जाएं ताकि उपज की हानि और क्षति रोकी जा सके और साथ ही किसानों की ऋण संबंधी जरूरतें पूरी की जा सकें। इससे किसानों को ऐसे समय मजबूरी में अपनी उपज बेचने से रोका जा सकता है जब बाजार में उसके दाम कम हों। ग्रामीण गोदामों का नेटवर्क बनाने से छोटे किसानों की भंडारण क्षमता बढ़ाई जा सकती है। इससे वे अपनी उपज उस समय बेच सकेंगे जब उन्हें बाजार में लाभकारी मूल्य मिल रहा हो और किसी प्रकार के दबाव में बिक्री करने से उन्हें बचाया जा सकेगा।
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प्रो. (डॉ.) विपिन मसीह प्रसाद बागवानी विभाग, शुअट्स, इलाहाबाद में प्रोफेसर एवं विभाग प्रमुख के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने इलाहाबाद कृषि संस्थान, इलाहाबाद से स्नातक और परास्नातक की डिग्री पूरी की। डॉ. प्रसाद ने अपनी पीएच. डी. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से बागवानी में प्राप्त की। उन्होंने 1996 को एक व्याख्याता के रूप में अपना पद ग्रहण किया और 1997 को इलाहाबाद कृषि संस्थान, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत में सहायक प्रोफेसर के पद का कार्यभार संभाला। उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र उद्यान विज्ञान और फल एवं सब्जियों की तुड़ाई उपरान्त प्रबन्धन में है। डॉ. प्रसाद का शिक्षण अनुसंधान एवं प्रसार कार्य में लंबा अनुभव (लगभग 22 वर्ष) है। उन्होंने 10 शोध छात्रों को सफलतापूर्वक निर्देशित किया और 65 स्नातकोत्तर छात्रों को उनके शोध में निर्देशित किया। डॉ. प्रसाद विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समितियों के सदस्य हैं और कई अंतर्राष्ट्रीय
राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सम्मेलनों आदि में भाग लेते रहे हैं। इन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 40 से अधिक शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और 6 पुस्तकों के लेखक हैं। डॉ. प्रसाद ने विभिन्न कृषि परियोजनाओं को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया है। डॉ. प्रसाद शोध कार्य और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए परीक्षक और विशेषज्ञ सदस्य भी हैं। भारत के विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों में डॉ. प्रसाद विभिन्न राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय पत्रिकाओं के सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी हैं।
डॉ. बालाजी विक्रम बागवानी विभाग, शुअटस इलाहाबाद में सहायक प्राध्यापक के रूप में काम कर रहे हैं। वर्ष 2007 में इन्होंने कृषि विज्ञान में स्नातक की डिग्री पूरी की। प्रतिष्ठित इलाहाबाद कृषि संस्थान, डीम्ड यूनिवर्सिटी, इलाहाबाद से बागवानी में विशेषज्ञता के साथ कृषि विज्ञान में परास्नातक करने के बाद सैम हिग्गिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी व विज्ञान विश्वविद्यालय में सन् 2013 से बागवानी विभाग में शिक्षण सहायक के रूप में शिक्षण कार्य प्रारम्भ कर दिया। इन्होंने अपनी डॉक्टरेट अनुसंधान डिग्री 2016 में शियाट्स, इलाहाबाद से पूरी की तथा इन्होंने फल विज्ञान में (ए.एस.आर.बी. नेट) की परीक्षा भी पास किया हुआ है। डॉ. बालाजी विक्रम अनुसंधान प्रकाशनों, पुस्तक अध्यायों, विस्तार लेखों आदि में शामिल 90 प्रकाशनों के अलावा, वैज्ञानिक अतिथि व्याख्यान विशेषज्ञ के रूप में जिला स्तरीय कृषि गोष्ठियां, मेला तथा उद्यान विभाग के प्रशिक्षण
कार्यक्रमों में निरंतर अपना सहयोग देते रहते है। टीवी तथा रेडिओ में भी कृषि सम्बंधित विषयों पर भी विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित किये जाते रहते हैं। 65 हिंदी लेख तथा 40 शोध पत्रों के साथ साथ पुस्तक अध्याय व दो पुस्तकों के लेखक हैं। डॉ. बालाजी विक्रम भारत के विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं के सदस्य भी हैं। युवा वैज्ञानिक सम्मान के साथ साथ इन्हें कृषि के क्षेत्र में उत्तम सेवा सम्मान भी प्राप्त हो चुका है वह वर्ष 2008 से 2016 के दौरान एनएसएस में सक्रिय रूप से भाग लेते रहते हैं। वह हमेशा कृषक समुदाय, सामाजिक सेवा और शैक्षिक समाज को अपनी सेवाएं प्रदान करने के साथ छात्रों की भी मदद करते रहते हैं।
प्रो. (डॉ.) नाहर सिंह रजिस्ट्रार व प्रोफेसर और कृषि अर्थशास्त्र और कृषि व्यवसाय विभाग प्रमुख के रूप में काम कर रहे हैं। इन्होंने इलाहाबाद कृषि संस्थान, इलाहाबाद से स्नातक और परास्नातक की डिग्री पूरी की। डॉ. नाहर सिंह ने अपनी पीएच.डी. कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर से कृषि अर्थशास्त्र में पूरी की। उन्होंने 1982 से एक व्याख्याता के रूप में अपने सेवा की शुरुआत की और व्याख्याता (सीनियर ग्रेड) 1987-1993 और एसोसिएट प्रोफेसर 1993-3003 और एक्सटेंशन के निदेशक, 2007 से 2015 तक शियाट्स, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत में भी शामिल हुए। उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र कृषि अर्थशास्त्र है। डॉ. सिंह के पास शिक्षण अनुसंधान एवं विस्तार कार्य में लम्बा अनुभव (लगभग 35 वर्ष) हैं। इनके देख-रेख में 1 पीएच.डी. और 45 स्नातकोत्तर छात्रों ने सफलतापर्वक अपने शोध में मान्यता प्राप्त की। डॉ. सिंह विभिन्न राष्टीय और अंतर्राष्टीय समाजों की
सदस्यता और कई अंतर्राष्ट्रीय-राष्ट्रीय संगोष्ठी, सम्मेलनों आदि में भाग लेते रहते हैं। उन्होंने विभिन्न राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय पत्रिकाओं में 195 शोध पत्र प्रकाशित किए हैं और विभिन्न पुस्तकों के लेखक हैं। डॉ. सिंह विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं और पेशेवर सोसायटी के लिए सलाहकार बोर्ड के सदस्य भी हैं।